key of success
सफलता। सफलता।। सफलता।।। (SUCCESS)
सब लोगों को सफलता – SUCCESS चाहिए। लेकिन सच मे सफलता के आंकड़ों को देखे , तो पूरी दुनिया मे किसी भी क्षेत्र के केवल २ % लोग ही कामयाब हो जाते है। बाकि, बचे ९८ % लोग भीड़ चाल का हिस्सा रह जाते है। ऐसा क्यों ? कभी सोचा है ? तो चलो आज इस के जड़ तक जाते है।
- परिभाषा – DEFINITION
- परिभाषा का स्पष्टीकरण – EXPLANATION OF DEFINITION
- लक्ष्य के प्रकार – TYPES OF GOAL
- बाह्य लक्ष्य – EXTERNAL GOAL
- आतंरिक लक्ष्य – INTERNAL GOAL
- बाह्य लक्ष्य और आतंरिक लक्ष्य में अंतर-DIFFERENCE BETWEEN EXTERNAL GOAL & INTERNAL GOAL
सफलता की परिभाषा – DEFINITION OF SUCCESS
पहले सफलता की परिभाषा समझते है। हमने जो लक्ष्य तय किया है , उसे हम जब हासिल करते है। तो उसे सफलता कहते है। इस सफलता की परिभाषा मे और सुधार करते है , जिससे आप अपनी सफलता की ओर जल्दी जा सके। हमने जो लक्ष्य तय किया है , उसे योजनापूर्वक (PLANNED) तय की गयी निर्धारित समय (SCHEDULED TIME) मे हासिल करने को सफलता कहते है।
सफलता की परिभाषा का स्पष्टीकरण – EXPLANATION OF SUCCESS DEFINITION
ऊपर दी गई दोनों परिभाषा सफलता को दर्शाती है, लेकिन पहली परिभाषा से दूसरी परिभाषा ज्यादा बेहतर है। क्योकि पहिली सिर्फ परिभाषा है , ना तो समय के बारे मे कुछ लिखा है और ना हीं योजना (PLANING) के बारे में लिखा है। इसी तरह आपके लक्ष्य में निर्धारित समय और स्पष्ट रूप से योजना नहीं है। तो आपका लक्ष्य सिर्फ लक्ष्य ही रह जाएगा। उसको सफलता का स्वरुप कभी नहीं आएगा।
अब ये जो दूसरी परिभाषा है, इसमें हम ने निर्धारित समय और योजना इन दोनों को विशेष रूप से लिखा है। जो इस परिभाष की गति (SPEED) दर्शाता है, जिससे इस परिभाषा को विशेष स्वरूप मिला है। इसी दूसरी परिभाषा की तरह हमें भी अपने जीवन में अपने लक्ष्य के प्रति निर्धारित समय, योजना और लक्ष्य के अनुसार अधिक विशेष काम करना पड़ेगा। जिससे हमें अपनी सफलता दुगनी गती से मिल जाए।
लक्ष्य के प्रकार – TYPES OF GOAL
हर किसी का लक्ष्य अलग – अलग होता है , और उसी लक्ष्य के अनुसार हर एक की सफलता अलग – अलग होती है। मुख्या रूप से दो प्रकार के लक्ष्य होते है। एक जो बाहरी प्रेरणा से हम अपना लक्ष्य बनाते है,उसे हम बाह्य लक्ष्य (EXTERNAL GOAL) कह सकते है। और दूसरा अंदरूनी प्रेरणा से जब हम अपना लक्ष्य बनाते है , उसे हम आतंरिक लक्ष्य (INTERNAL GOAL) कह सकते है।
1 ) बाह्य लक्ष्य क्या है ? – WHAT IS EXTERNAL GOAL?
धन ,महँगी गाड़ी खरीदना, महंगा घर खरिदना, बंगलो खरीदना और सचिन तेंदुलकर जैसा बनना है, ह्रितिक रोशन जैसा बानना है। इस प्रकार के जितने भी लक्ष्य होते है, वह सब बाहरी प्रेरणा (EXTERNAL MOTIVATION) से मिले लक्ष्य होते है। इसमें कोई बुराई नहीं है, लेकिन यह आपको कठीन परिश्रम (HARD WORK ) कर रहे हो इसका अहसास दिलाएगा।
इस प्रकार के लक्ष्य हासिल कर ने के बाद अपने जीवन में ओर सुधार हो जाएगा, लक्ष्य के पीछे यह उद्देश्य रहेगा तो ठीक है। लेकिन बहुतांश लोग महँगी गाड़ी , महंगा मोबाइल , महंगा घर इसलिए खरीदते है क्योंकी, यह सब लोगो को दीखा सके और इसके लिए वह कर्ज (LOAN) लेते है। और इसी चक्कर मैं वो फस जाते है। यहाँ आप अपने कमाई का बहुतांश पैसा क़र्ज़ के क़िस्त (Installment) भरते – भरते खर्च होता है। जिससे खुद में सुधार (Self Improvement ) करने में जब पैसे की जरुरत होती है , तो आप के पास पर्याप्त पैसा नहीं होता।
कर्ज लेना बुरा नहीं है , लेकिन हमें कर्ज की सच में जरुरत होती है तभी लेना चाहिए और वह भी हमारा आखरी पर्याय होना चाहिए। बाहरी प्रेरणा (EXTERNAL MOTIVATION) से मिले लक्ष्य बारे मे हम अगर ध्यान से सोचे , तो इस मे मर्यादा (Limitation) है। क्योकि यह लक्ष्य जैसे ही हम हासिल करते है , इसकी ख़ुशी मर्यादित समय के लिए रहती है। इसका मतलब बाहरी प्रेरणा (EXTERNAL MOTIVATION) से बने लक्ष्य को मर्यादा है। वह ज्यादा समय तक नहीं रहते।
२ )आतंरिक लक्ष्य क्या है? – WHAT IS THE INTERNAL GOAL?
अपनी अंदर की प्रेरणा से जो लक्ष्य बनाते है , उसके लिए हमे अपने अंदर देखना होगा। जैसे , ऐसा कौन सा काम है , जिसमे मेरी ज्यादा रूचि है, दिलचस्पी (Interested) है। ऐसा कौन सा काम है जो मैं १२ घंटे , १४ -१४ घंटे तक बिना थके कर सकता हूँ। चाहे वो कोई खेल हो , चाहे वो किसी विशेष विषय की खोज हो , चाहे वो कोई आपका शौक (Hobby) हो , चाहे जो भी हो। जिसे करने से आपको मजा आ रहा हो , आनंद मिलता हो।
ऐसा कौन सा काम है , जिससे आपका उत्साह (Excitement) बढ़ता है। जिसके लिए आप खुद को उस काम के लिए पूरा समर्पित (Completely Dedicated) कर सकते हो। इसके अनुसार आप अपना लक्ष्य बनाते है , तो आपको दुनिया की कोई ताकद सफल बनने से रोक नहीं सकती। क्यों की आपको इस काम में दिलचस्पी और रूचि होने के कारण आप को इसके परिणाम (results) से कोई फर्क नहीं पड़ेगा। और जब किसी को काम के परिणाम से फर्क नहीं पड़ता , उस काम में दिलचस्पी होने के कारण आप वो काम बिना थके करते रहते हो , तो उस काम में आपका सफल होना तय है।
परिणाम अच्छे आये या खराब आये, आप हमेशा उस काम में अपना १०० % देके काम करोगे। आप को कभी एहसास नहीं होगा की, आप कठीण कार्य कर रहे है। और यही खुब्बी आपको सफलता की चोटी (Peak of Success) तक पहुँचाएगी।
बाह्य लक्ष्य और आतंरिक लक्ष्य में अंतर-DIFFERENCE BETWEEN EXTERNAL GOAL & INTERNAL GOAL
बाहरी प्रेरणा से बना हुवा लक्ष्य और आपके अंदर की प्रेरणा से बना हुवा लक्ष्य दोनों में अंतर है। बाह्य लक्ष्य को खुशी के लिए बनाए जाते है और आंतरिक लक्ष्य को हम ख़ुशी से करते है। जो काम ख़ुशी से किया जाता है, वह हमेशा सफल ही होता है। इसका मतलब बाह्य लक्ष्य से आंतरिक लक्ष्य में सफल होने की संभावनाए ज्यादा है।
अंत में इतना कहना चाहूंगा की, जब आप लक्ष्य को हासिल करने के मार्ग पर चल रहे हो। तो स्वाथ्या (Health), रिश्तेदारों (Relatives) के साथ अच्छे सबंध और जब तक लक्ष्य (GOAL) हासिल नहीं होता तब तक प्रयास करते रहना। इन तीनो के साथ अच्छा संतुलन (Balance) बनाके चलना है। और आप जब सफल हो जाओगे, तो अपने अनुभव से दुसरो को सफल होने में मदत करना। तभी आप पूरी तरह से जीवन मे सफल कहलाओगे।
आपको सफलता के लिए दिल से शुभ कामनाऐ। …
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सौजन्य - संदीप माहेश्वरी (you tube)
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