महान लोगों की कहानी जानने से या उनके संघर्ष से सफलता की कहानी जानने से हम उनकी असफलता से सिख ले सकते है। जो की हमे अपने जीवन मे आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती रहे और सफलता की कहानी यो से हमे यह सिख मिलता है की, जीवन मे कभी भी हार नहीं माननी चाहिए।
सफलता के लिए आपने स्पष्ट उद्देश्य (clear purpose) के साथ लक्ष्य तय किया। उस लक्ष्य को हासिल करने के लिए योजना बनाई लेकिन उस मे भी असफल होने की संभावना होती है। इसका मतलब यह नहीं की, लक्ष्य के ऊपर काम करना छोड़ दे। वास्तव मे जब भी आपके लक्ष्य के मार्ग पर समस्या या मुश्किलें आये, तो वह आपको ओर शक्तिशाली बनती है। इस को “सफलता की कहानी” इस ब्लॉग में समझने की कोशिश करेंगे।
हम हमेशा सफल लोगों के उपलब्धिओं के बारे मे सोचते है, उनकी जीवन शैली देखते है। मतलब हम सफल लोगों की सर्वोत्तम बाजु (best side ) देखते है। और उनसे प्रेरित होकर उनके जैसा सफल बनने का अपना लक्ष्य बना लेते है। लेकिन हम सफल लोगों दूसरी बाजु नहीं देखते है की, उनको क्या मुश्किलें आयी ,कौनसी – कौनसी समस्या का सामना करना पड़ा।
अगर आपको सच मे सफल होना है , तो आपको “सफलता की कहानी” इसे जानना बहुत जरुरी है। इससे आपको पता चलेगा की ,सफलता के मार्ग पर जो भी मुश्किलें और समस्या आती है उसके लिये आपको तयार रहना होगा ।अगर आप तैयार हो, तो चलिए जानते है, कामयाब लोगों की असफलता से सफलता की कहानी ।
असफलता से सफलता की कहानी | Failure to Success
१) स्टीव जॉब्स की जीवनी | Steve Jobs Biography Hindi
स्टीव् जॉब्स का जन्म २४ फरवरी १९५५ को कलिफ़ोर्निया में हुवा था। उस समय उनकी माँ की शादी नहीं हुवी थी। इसलिए उन्होने स्टीव को क्लारा और पॉल जॉब्स को गोद दे दिया। वह फॅमिली एक मध्यम वर्ग से (middle class ) आती थी। वह ज्यादा पैसे नहीं कमाते थे , फिर भी उन्होने स्टीव जॉब्स सबसे अच्छे और महँगे स्कूल मे पढ़ाया।
स्टीव जॉब्स की शिक्षा | steve jobs education
स्टीव जॉब्स के माता पिता ने उनकी कॉलेज के पढाई के लिए सबसे अच्छे और महँगे कॉलेज मे प्रवेश ( admission ) लिया। वहा की फ़ीस ज्यादा थी , बहुत मेहनत करने के बाद भी उनके माता पिता कॉलेज की फ़ीस भर नहीं पाते थे। यह सब देख कर स्टीव जॉब्स छुट्टी के दिनों कोल्ड ड्रिंक बोतलें बेचते थे।
खाने के पैसे बचने के लिए दूर चलकर हरे कृष्णा मंदिर जा कर खाना कहते थे और अपनी रूम की फ़ीस बचाने के लिए दोस्त के घर पर फर्श पर सोते थे। यह सब करने बाद भी कॉलेज की फ़ीस भरने मे मुश्किल होती थी। इन सभी वजह से उन्होंने कॉलेज छोड़ दिया।
एप्पल फाउंडर के रूप मे स्टीव जॉब्स | Steve Jobs Apple Founder
कॉलेज छोड़ने के बाद स्टीव जॉब्स ने अपना पूरा ध्यान अपने बिज़नेस आईडिया पर लगा दिया। स्टीव जॉब्स ने २० साल की उम्र मे ही अपने दोस्तों के साथ मिलकर एप्पल कंपनी बनाई जिसके फाउंडर स्टीव जॉब्स थे। देखते ही देखते एप्पल कंपनी का टर्न ओवर २ अरब डॉलर का हो गया। स्टीव के दोस्त उन्हें नापसंद करते थे। इसी बिच एप्पल की लोकप्रियता कम हुवी और कम्पनी के ऊपर कर्ज होने लगा। इन सब का स्टीव को जिम्मेदार ठहराते हुवे , उन्हे १९८५ को एप्पल कम्पनी से निकल दिया।
जिस कंपनी को उन्होंने कड़ी मेहनत और लगन से बनाया था, उसी कंपनी से उनको निकाला था। इस बात से वह बहुत दुखी हो गए थे और यह उनके जीवन सबसे कठिन दौर था लेकिन स्टीव जॉब्स ने कभी हर मानी। स्टीव जॉब्स के जाने बाद एप्पल कंपनी के हालात ओर ख़राब हो गयी।
स्टीव जॉब्स की एप्पल सीईओ के रूप में वापसी | Apple Ceo Steve Jobs
एप्पल कंपनी से निकलने के कुछ दिनों बाद स्टीव जॉब्स ने पिक्सर (pixer) और नेक्स्ट कप्यूटर (next computer) यह दो कंपनी की सुरुवात कर दी और उसे सफल भी बनाया। वहाँ एप्पल कंपनी डूबने को आई थी। इसीलिए एप्पल बोर्ड मेंबर्स ने स्टीव जॉब्स को वापस एप्पल कपनी मे आने को कहा।
१९९६ को स्टीव जॉब्स फिर से एप्पल कम्पनी मे सीईओ (CEO) के रूप मे वापस आ गए। उन्होंने पिक्सर कंपनी को एप्पल मे मिला लिया। एप्पल के सीईओ बनने के कुछ ही दिनों मे i-mac बाजार मे उतार दिया। यह काफी लोकप्रिय हुवा। इसके बाद उन्होने i -pod म्यूजिक प्लेयर और i -tune म्यूजिक सॉफ्टवेयर बाजार में उतरा और यह भी काफी सफल हुवा।
२००७ मे एप्पल ने अपना पहला i -phone लांच किया इसे काफी लोकप्रियता मिली, जो अभी भी i -phone के अलग – अलग प्रकार मे लोकप्रिय है। इसके बाद स्टीव जॉब्स ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। ५ अक्टूबर २०११ को पैंक्रियास कैंसर के कारन कैलिफोर्निया मे उनका निधन हो गया।
स्टीव जॉब्स के विचार | Thoughts of Steve Jobs
स्टीव जॉब्स के मुख्य विचारो मे से एक विचार यह है की , आज का दिन मेरा आखिरी दिन है। यह सोचने से उनको अपने जीवन मे कठिन निर्णय लेने मे यह विचार मदतगार होता है। इससे असफल होने का डर ,सारी उम्मीद ,सारा गर्व ख़तम हो जाता है और सिर्फ वही बचता है, जो सच मे जरुरी है। स्टीव जॉब्स हमेशा कहते थे , “Stay Hungry Stay Foolish”
स्टीव जॉब्स के सफलता की कहानी मे वह सिर्फ बिज़नेस के लिए ही नहीं जाने जाते , बल्कि वह एक मोटिवेशनल स्पीकर के रूप मे भी दुनिया मे जाने जाते है।
२) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जीवनी | Dr. APJ Abdul Kalam Biography Hindi
मिसाईल मॅन डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी का जन्म १५ अक्टूबर १९३१ मे तमिलनाडु के रामेश्वरम मे गरीब परिवार में हुवा था। माता – पिता और पांच भाई – बहन मिलकर उनके परिवार कुल ७ सदस्य थे। उनके पिताजी लोगों को नाव से नदी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुचाने का काम करते थे।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का प्रारंभिक जीवन | Dr APJ Abdul Kalam’s Early Life
एक दिन तूफान के वजह से उनके पिताजी की नाव बहकर चली गयी और उनके परिवार का दो वक्त का खाना भी मुश्किल हो गया। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम तब ८ साल के थे, वह स्कूल मे पढाई करते थे। लेकिन घर की गरीब परिथिति को देखते हुवे उन्होंने अख़बार डालना सुरु कर दिया, और वह स्कूल से आने के बाद काम पर भी जाया करते थे। इतनी मुश्किलों के बाद भी उन्होंने अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ी।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी की शिक्षा | Dr APJ Abdul Kalam’s Education
ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी के माता – पिता भले ही पढ़े -लिखे नहीं थे। लेकिन उन्होंने अब्दुल कलाम जी को पढ़ाया। ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी की स्कूल और कॉलेज ख़तम करने के बाद उनको इंजिनीरिंग करनी थी और उनका मद्रास इंस्टीटूड ऑफ टेक्नोलॉजी मे एडमिशन हो गया था। लेकिन, फिज़ भरने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे। यह बात अब्दुल कलाम जी के बहन पता चली तो उन्होंने अपने सोने के कंगन बेच कर एडमिशन के पैसे कलाम जी के पास दिए। यह बात अब्दुल कलाम जी को बहुत बुरी लगी।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का करियर | Dr APJ Abdul Kalam’s Career
मद्रास इंस्टीटूड से इंजिनीरिंग करने के बाद अब्दुल कलाम जी बंगलौर मे हिंदुस्तान एरोनॉटिक मे ट्रेनिंग करने गए। वह पायलट बनाना चाहते थे। हिंदुस्तान एरोनॉटिक मे ट्रेनिंग करने के बाद देहरादून मे एयर फ़ोर्स मे पायलट के लिए आवेदन किया। वहाँ पर कुल २२ लोगो मे से ८ लोगों सिलेक्शन हुवा, और ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ९ वे नंबर पर आये थे। इससे वह बहुत निराश हुवे मानो उनका सपना तूट गया।
इसके बाद कलाम जी DRDO मे वरिष्ठ वैज्ञानिक (senior scientist) के तौर पर काम करने लगे। वहाँ पर उन्होंने भारतीय वायुसेना के लिए छोटे से हेलीकाप्टर डिज़ाईन बनाया। लेकिन DRDO मे सिमित काम होता था।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी इस्त्रो मे शामिल | Dr APJ Abdul Kalam joined Istro
कुछ सालों बाद उनका इस्त्रो (Istro) मे ट्रांसफर हो गया। यहाँ पर उन्हें सॅटेलाईट लॉन्च परियोजना मे डायरेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया। उस समय भारत के पास टेक्नोलॉजी नहीं थी, भारत के पास खुद की मिसाईल नहीं थी, सॅटेलाईट नहीं थी। और छोटे – छोटे चीजों के लिए भी दूसरे देशों पे निर्भर रहना पड़ता था। इसलिए न्यूक्लियर हथियार वाले देश भारत को कमज़ोर समझते थे। और भारत वैज्ञानिक स्तर पर कुछ करने की कोशिश करता तो उस पर पाबंदी लगाई जाती थी। जिससे भारत पीछे ही रह जाये।
आंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी भी देश का महत्व उसकी टेक्नोलॉजी के अनुसार तय होती है और भारत टेक्नोलॉजी के मामलों मे पीछे था। यह सभी देखकर भारतीय वैज्ञानिक विक्रम साराभाई ,सतीश धवन और डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम इन्होने पाबंदी ओ के बावजूद भारत को टेक्नोलॉजी मे आगे बढ़ाने के लिए लगातार कोशिशें जारी राखी थी। और भारत को पहली मिसाईल दी।
डॉ. अब्दुल कलाम जी अपनी टीम के साथ कई प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे। तब उनके टीम के लीडर विक्रम साराभाई का १९७१ मे निधन होता है। विक्रम साराभाई उनके प्रोजेक्ट के महत्व पूर्ण हिस्सा थे। इसी दौरान कलाम जी के माता पिता का भी निधन हो जाता है। इस वजह से कलाम जी बहुत दुःखी हो जाते है। निराश हो जाते है।
डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम जी का देश के लिए योगदान | Contribution of Dr. APJ Abdul Kalam to the country
इस्त्रो मे काफी एक्सपरिमेंट फेल होने के बाद उन्होंने अपने मिशन को पूर्ण किया। और आज भारत को मिसाईल, सॅटेलाईट ही नहीं और बहुत कुछ दिया है। डॉ. अब्दुल कलाम जी के संघर्ष और मेहनत के कारण भारत के विकास मे उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा। दुनिया के नज़र मे भारत की छवि सुधर गई। इन सभी के वजह से डॉ. अब्दुल कलाम जी भारत के २००२ – २००७ के ११ वे राष्ट्रपती बने रहे। अपने राष्ट्रपती के कार्यकाल मे उन्होंने कई महत्वपूर्ण कार्य किये।
सायन्स और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र मे भारत के लिए जो महत्वपूर्ण कार्य किये थे। उसके लिए डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी को भारत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार भारत रत्न से १९९७ मे सम्मनित किया गया।
राष्ट्रपती कार्यकाल ख़तम होने के बाद उन्होंने अपना सारा समय नवयुवकों के मार्गदर्शन के लिए लगा दिया। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी ने १७ जुलाई २०१५ को अपनी उम्र के ८४ वर्ष के आयु मे इस दुनिया को अलविदा कह दिया। डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम जी तो हमे छोड़कर चले गए ,लेकिन उनकी सफलता की कहानी आज भी हमे प्रेरित करती है।
३)अब्राहम लिंकन की जीवनी | Abraham Lincoln Biography Hindi
बचपन के गरीबी से लेकर अमेरिका के १६ राष्ट्रपति बनाने तक अब्राहम लिंकन का सफर बहुत संघर्ष पूर्ण था। अब्राहम लिंकन के ७ साल के उम्र तक गरीबी के हालत मे दो बार उनके परिवार को जमीनी विवाद के कारण घर छोड़ना पड़ा। आखिरकार इंडियाना आकर उनका परिवार बस गया। इंडियाना मे उनके पिताजी खेती करने लगे।
अब्राहम लिंकन का प्रारंभिक जीवन |Abraham Lincoln’s Early Life
अब्राहम लिंकन जब ९ साल के थे तब उनके माताजी का बीमारी के कारण निधन हो गया। उसके बाद छोटे से अब्राहम लिंकन की पढाई मे रूचि होने के बावजूद उनको को पढाई छोड़नी पड़ी। क्योकि, उनके पिताजी को लगता की,वह उनके काम मे मदत करे। अब्राहम लिंकन ने खुद की नाव बनाकर लोगों को नाव से नदी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक पहुचाने का काम करते थे। और बाकि समय खेती करते थे।
अब्राहम लिंकन की शिक्षा | Abraham Lincoln Education
अब्राहम लिंकन को पढाई इतनी पसंद थी की, जज के घर मे काम करते और उसके बदले मे किताबे पढ़ते। कुछ दिनों मे उन्हें नौकरी मिल गई। नौकरी करते – करते बिना स्कूल और कॉलेज जाकर खुद से ही अपनी लॉ की पढाई पूरी करी थी। पढाई पूरी होने के बाद उन्हें पोस्ट ऑफिस की नौकरी मिली।
यह नौकरी करते – करते गांव के लोगों की समस्या और परेशानी देख कर अब्राहम लिंकन ने राजनीती मे आने का सोचा। वह विधायक के चुनाव लढ़े और बुरी तरह से हार गए। चुनाव के लिए पोस्ट ऑफिस की नौकरी छोड़नी पड़ी थी , इसलिए उन्हें काफी आर्थिक चुनौतिओं का सामना करना पड़ा।
अब्राहम लिंकन का प्रेम और विवाह | Abraham Lincoln’s Love and Marriage
अब्राहम लिंकन को २४ साल की उम्र मे एक लड़की से प्यार हो गया। दोनों शादी करने वाले थे लेकिन उस लड़की की एक गंभीर बीमारी के कारण मृत्यू हो गयी। इसके बाद अब्राहम लिंकन डिप्रेशन मे चले गए और उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला। और अपने दोस्त की मदत से उन्होंने फिर से विधायक का चुनाव लढ़ा और इस बार वह जित गए।
विधायक चुनाव जितने के बाद अब्राहम लिंकन ने गरीब लोगों की कम फ़ीस मे और कभी – कभी फ्री मे वकालत करते थे। १८४२ मे अब्राहम लिंकन ने मैरी टोड के साथ शादी कर ली। उनको ४ बच्चे हुवे लेकिन उस मे से १ ही बच्चा जिन्दा रहा बाकी सब की कम उम्र मे ही निधन हो गया। अब्राहम लिंकन ने बिज़नेस सुरु किया वह भी असफल रहा।
अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति | Abraham Lincoln President of America
अब्राहम लिंकन ने एक के बाद एक ऐसे ९ चुनाव हार गए। १८६० मे उन्होंने फिर राष्ट्रपति का चुनाव लढ़ा। लेकिन अब हार भी अब्राहम लिंकन के हिम्मत सामने हार गई और अब्राहम लिंकन अमेरिका के १६ वे राष्ट्रपति बने। अब्राहम लिंकन ने अपने राट्रपति कार्यकाल मे कई अच्छे कार्य किये उनमे से दास प्रथा बंद कर दी। १४ अप्रैल १९६५ को अब्राहम लिंकन अपनी पत्नी के साथ नाटक देखने चले गए। वहा नाटक के अभिनेता ने उनको गोली मारकर उनकी हत्या कर दी।
४) सिंधुताई सपकाल की कहानी | Sindhutai Sapkal Biography Hindi
सिंधुताई सपकाल कौन है? | Who Is Sindhutai Sapkal?
पद्मश्री से सम्मानित सिंधुताई सकपाल अनाथ बच्चो के लिए काम करने वाली मराठी समाज कार्यकर्ता थी। सिंधुताई ने अपना सारा जीवन अनाथ बच्चो के लिए काम करने मे दिया था। इसलिए उन्हें माई के नाम से भी जाना जाता है। सिंधुताई सकपाल का जन्म १४ नवम्बर १९४७ मे महाराष्ट्र राज्य के वर्धा जिल्हे मे पिंपरी मेघे छोटे से गांव मे हुवा था। सिंधुताई को घर मे चिंढी के नाम से बुलाया जाता था।
सिंधुताई सकपाल की शिक्षा | Sindhutai Sakpal Education
उनके पिताजी सिंधुताई को पढ़ना चाहते थे। इसलिए उन्होंने सिंधुताई का दाखिला स्कूल मे करवा दिया। सिंधुताई सुबह गाय – भैंस को चराने लेके जाती और वही उनको छोड़कर स्कूल मे देर से जाती थी। तब शिक्षक की दाट पड़ती और स्कूल से छूट ने बाद गाय – भैंस को लेने जाती तो गाय – भैस खेतों में घुसाने के कारण गाव वालो से गाली खानी पड़ती। ऐसे करते – करते सिंधुताई ४ थी कक्षा तक पढ़ी।
सिंधुताई सकपाल की शादी | Sindhutai Sakpal Marriage
सिंधुताई १० साल की थी तभी उनकी शादी ३० साल के श्रीहरि सकपाल के साथ हो गयी। सिंधुताई १८ साल की होते – होते ३ बच्चों की माँ बन गई थी। गांव मे शेकडो की संख्या मे गाये थीं, उनका गोबर गांव की स्त्रिया उठाते – उठाते थक जाती थी। गोबर उठाने के पैसे गांव के मुखिया से मिलने चाहिए इसलिए सिंधुताई ने जिह्लाधिकारी से तक्रार किया और वह जित गयी।
सिंधुताई सकपाल के संघर्ष की सुरुवात | Sindhutai Sakpal’s struggle begins
गांव के मुखिया ने इस अपमान का बदला लेने के लिए सिंधुताई के पती को कहा की, तुह्मारे बीवी के पेट मे जो बच्चा है, वह मेरा है। तब सिंधुताई के गर्भ का ९ वा महीना चालु था। उसके पति गुस्से से घर गए और सिंधुताई को बहुत मारा – पीटा , उनके पेट में भी लात मारी वैसे ही वह बेहोश हो गयी। फिर सिंधुताई को उनके पति ने गिसीट कर ले जाकर गाय से भरे गोठे मे मरने छोड़ दिया। उसी बेहोशी के हालात मे सिंधुताई को लड़की हुवी, उस लड़की का नाल सिंधुताई ने पत्थर से तोडा।
यह सब होने के बाद सिंधुताई अपने बच्ची को लेकर माँ के घर चली गयी लेकिन उनके माँ ने भी लोग क्या कहेंगे? यह सोचकर उनको नहीं अपनाया और घर से चले जाने को कहा। सिंधुताई वैसे ही अपनी बेटी को लेके रेल्वे स्टेशन गयी। वहाँ गाना गा कर जो पैसे मिलते उससे अपना पेट भरती थी। सिंधुताई उस समय जवान थी इसलिए अपनी बेटी और खुद की सुरक्षा के लिए रात को शमशान घाट रहती थी।
सिंधुताई को माई क्यों कहते है ? | Why is Sindhutai called Mai?
भिक माँगने के बाद सिंधुताई को जो कुछ मिलता वो रेल्वे स्टेशन के अनाथ बच्चो के साथ बाट कर खाती थी। ऐसा करते – करते अब सिंधुताई उनकी माँ बन चुकी थी। इसी दौरान सिंधुताई की पहचान कुछ आदिवासी ओ से हो गयी और उन आदिवासी ओ के हक्क के लिए वह इंदिरा गाँधी तक मिलने गई थी। सिंधुताई और उनके अपनाए गए बच्चे आदिवासी ओ ने बांधे हुवे घर पर रह रहे थे।
सिंधुताई ने अपनी खुद की बच्ची और अपनाये गए बच्चो मे भेदभाव नहीं होना चाहिए इसलिए उन्होंने खुद की बच्ची ममता को पुणे के श्रीमंत दगडुशेठ हलवाई संस्थापक मे दे दिया। सिंधुताई भजन के साथ भाषण भी देने लगी थी, ओर लोकप्रिय होने लगी थी। वह अब १४०० से ज्यादा अनाथ बच्चो की माँ बन गयी थी। उनके अपनाए हुवे बच्चे आज डॉक्टर ,अभियंता ,वकील है और कई बच्चे खुद का अनाथ आश्रम चला रहे है। सिंधुताई ने अपना पूरा जीवन बेसहारा अनाथ बच्चों को दिया था इसलिए उन्हें माई के नाम से जाना जाता है।
सिंधुताई सपकाल के जीवन की रोचक कहानी | Sindhutai Sapkal’s Interesting fact
सिंधुताई को राष्ट्रिय – आंतराष्ट्रीय मिलाकर २७० से ज्यादा पुरस्कार मिले है। पुरस्कार से मिली राशि और भाषण से मिली राशि से उन्होंने महाराष्ट्र में पुणे, वर्धा, सासवड यहाँ पर अनाथ आश्रम बनाए है। साल २०१० मे माई के ऊपर “मी सिंधुताई सकपाल” यह मराठी फिल्म बनाई गयी जो ५४ वे लंडन फिल्म फेस्टिवल मे चुनी गयी।
माई उनके काम से लोकप्रिय हो गयी थी। उनके गांव मे उनको बुलाया गया और उनका स्वागत किया गया। वही पर उनके पति ने उनसे माफ़ी मांगने आ गए। सिंधुताई ने अपने पती से कहा, ” आपने ने मुझे घर से निकला इसलिए मैं इतने सारे अनाथ बच्चों की माँ बन गयी लेकिन अब आप मेरे साथ चलो लेकिन पति के रिश्ते से नहीं बल्कि बेटे के रिश्ते से चलो , क्योकि अब मेरे पास सिर्फ माँ का ही रिश्ता है।” ऐसा कहकर पती को अपने साथ ले कर गई और सिंधुताई ने अपने पती को बड़े दिल से माफ़ कर दिया।
सिंधुताई ने हज़ारो बच्चों का जीवन सुनेहरा कर के ४ जनवरी २०२२ मे अपनी उम्र के ७३वर्ष की आयु मे हम सब को छोड़ कर भगवान के पास चली गई।
मेरे प्यारे दोस्तों सभी महान लोगों की प्रेरणादायक कहानियाँ पढ़ने के बाद आपको कैसा महसूस हो रहा है। क्या आपकी जिंदगी इन महान व्यक्ति ओ जैसी कठिन है? अगर नहीं तो कोनसी चीजे आपको जीवन में पीछे खींच रही है? आप निराश क्यों है? इन महान लोगों की तरह हमें भी अपनी समस्या से लढना है। और जीवन मे बहुत आगे बढ़ना है।
निष्कर्ष | CONCLUSION
सफलता की कहानी पढ़ने के बाद यह समझ मे आता है की, जिंदगी मे कितनी भी मुश्किलें आये, जिंदगी कितनी भी हमारे प्रति कठिन हो। हमें लढना नहीं छोड़ना चाहिए। अगर हम कभी हार नहीं मानेगे,निरंतर प्रयास करते रहेंगे, तो एक दिन जरूर जीतेंगे। आशा करता हु, सफलता की कहानी पढ़ने के बाद आप जीवन मे कभी निराश नहीं होंगे और आपकी निराशा भी भाग गई होगी।
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१) मैं स्टीव , मेरा जीवन मेरी जुबानी – हिंदी
२) डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम – हिंदी
३) अब्राहम लिंकन अनजानी शख्सियत – हिंदी
४) मी वनवासी ( सिंधुताई सपकाल ) – मराठी