जीवन का हर एक पहलू हमारी मानसिक स्वास्थ्य पर असर करता है। जैसे सोचना हमारे जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन ज्यादा सोचने से क्या होता है? ज्यादा सोचने के नुकसान क्या है? ज्यादा सोचने के फायदे क्या है? ज्यादा सोचने के लक्षण क्या है? ज्यादा सोचने से कैसे बचे? इस ज्यादा सोचने की बीमारी का इलाज हम “ओवरथिंकिंग से कैसे बचे?” इस ब्लॉग पोस्ट मे सविस्तर चर्चा करेंगे।
ओवरथिंकिंग क्या है ? | What Is Overthinking In Hindi
समय के साथ हर किसी को कभी-कभी ज्यादा सोचने की समस्या हो सकती है। ज्यादा सोचना हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। यह समस्या आजकल की तेज जीवनशैली और भागदौड़ भरे जीवन के साथ बढ़ते जा रही है। इससे हमारे फैसलों पर भी असर पड़ सकता है, और हमारे जीवन में अत्यधिक तनाव पैदा हो सकता है। इसलिए, हम ओवरथिंकिंग को कैसे रोक सकते हैं और जीवन को अधिक स्वस्थ और खुशहाल बना सकते हैं, उसके बारे में चर्चा करेंगे।
ज्यादा सोचना क्या है ? | What Is Overthinking ?
सोचना गलत नहीं है, सोचने से हम किसी भी परिस्थिती और विषय की ग्यहराही को समझते है। लेकिन जीवन की हर पहलूओ को गंभीरता से सोचने की जरुरत नहीं होती। हम जीवन के हर पहलू को ज्यादा ही महत्व देते है। जब की असल में कुछ कामो को ही महत्व देना है जो महत्वपूर्ण है, बाकि कामो को उनके हिसाब से महत्व दो। लेकिन हम हद से ज्यादा हर काम को महत्व देते है उसके बारे में ज्यादा सोचत है, जब उसकी उतनी जरुरत नहीं है । यही से ओवरथिंकिंग की सुरुवात होती है।
जीवन के हर पहलु और परिस्थिति को महत्व देने से हमें उसके बारे मे ज्यादा सोचने की आदत पड जाती है। और इसी तरह ओवरथिंकिंग मे एक के बाद एक हम सोचने लगते है, ओर उसकी एक चैन बन जाती है। उसमे हम अनजाने मे फस जाते है। जिससे हमारे जीवन मे तनाव आता है। यह सामान्य रूप से एक नकारात्मक परिस्थिति है, जिससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर पड़ता है।
ओवरथिंकिंग का कारण | Causes Of Overthinking
- तनाव (Stress ) : ज्यादा तनाव ओवरथिंकिंग का एक महत्वपूर्ण कारण हो सकता है। जीवन में होने वाले काम का तनाव , जिम्मेदारी का तनाव , और व्यक्तिगत जीवन की कई परिस्थितियों के तनाव के कारण लोग ज्यादा सोचने लगते है। स्ट्रेस के कारण व्यक्ति अपने विचारों को सामान्य से अधिक चिंता करने लगता है और इससे ओवरथिंकिंग की समस्या उत्पन्न हो सकती है।
- असमंजस (confusion) : असमंजस (confusion) के वजह से लोग ज्यादा सोचने लगते है। जब हमे जीवन मे महत्वपूर्ण फैसलों का सामना करना पड़ता है, तो हम अक्सर चिंता में डूब जाता है। क्योंकि कई विकल्पों के बीच असमंजस (confusion) रहता है, इसके परिणामस्वरूप हम अपने विचारों को बार-बार दोहराते है और फैसले के संदर्भ में ज्यादा सोचने लगते है।
- मनोबल (Moral) : कभी-कभी किसी का व्यक्तिगत मनोबल कम होना भी ओवरथिंकिंग का कारण हो सकता है। जब किसी का मनोबल कमजोर होता है, तो वह अपने आप को और अपने कामों को करने मे मुश्किल महसूस कर सकता है। इस वजह से वह अपने विचारों में फंस जाता है और चिंता में डूब जाता है।
- निगरानी का अभाव (lack of monitoring) : ओवरथिंकिंग का एक अन्य कारण निगरानी की कमी (lack of monitoring) भी हो सकता है। यदि किसी व्यक्ति में अपने विचारों और चिंताओं के प्रति जागरूक रहने की क्षमता नहीं है, तो वह अपने विचारों में फंस जाता है और चिंतित हो जाता है।
ओवरथिंकिंग के लक्षण | Symptoms Of Overthinking
- नींद की समस्या : यह ओवर थिंकिंग का मुख्य लक्षण है। रात को लगातार ज्यादा सोचने के कारण माइंड एक्टिव रहता है इसलिए रात को जल्दी नींद नहीं आती और सुबह -सुबह जागते ही विचारों का दबाव से दिन के सुरुवात मे ही उदासीनता, उत्साह की कमी होने लगती है। यह रोज – रोज होना शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकती है।
- दिमाग में बार बार एक ही विचार आना : ज्यादा सोचने वाले व्यक्ति कई घंटों तक एक ही विचार या मुद्दे के बारे में सोचते रहते हैं और इसे बार-बार दोहराते रहते हैं और अंत मे कोई निष्कर्ष नहीं निकलता।
- समाज से दुर रहना : ज्यादा सोचने की आदत होने से वह व्यक्ती समाज से दूर रहने की कोशिश करता है और अकेला रहना पसंद करता है। जिससे वह कई सामाजिक गतिविधियों से दूर रहता है और अपने साथीयों से भी अलग होता है।
ओवरथिंकिंग के नुकसान | Effects Of Overthinking
- ओवरथिंकिंग का दिमाग पर असर | Effects of overthinking on brain : अधिक विचार करने से तनाव और चिंता का स्तर बढ़ता है जिसका प्रभाव हमारे मानसिक स्वाथ्य पर पड़ता है। जिससे धीरे – धीरे मानसिक समस्या होने लगाती है , जैसे आत्मविश्वास की कमी हमे डिप्रेशन की ओर ले जा सकती है।
- ओवरथिंकिंग का शरीर पर प्रभाव | Overthinking effects on body : अत्यधिक चिंता से मानसिक स्वाथ्य पर असर होने से हमारे शारीरिक स्वाथ्य भी प्रभावित होता है। जैसे कि जल्दी थक जाना, हमेशा थकान महसूस होना, मांसपेशियों का दर्द, सिरदर्द, और पेट की समस्याएं।
- ओवरथिंकिंग का काम पर प्रभाव | Effects of overthinking at work : अत्याधिक विचार से हमारा काम भी प्रभावित होता है। दिमाग मे विचार होने के कारण हम अपने काम पर ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते, जिससे कार्य की गुणवत्ता कम होती है और समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। ज्यादा विचार करने से हम अपना व्यक्तिगत विकास (personal growth) और व्यावसायिक विकास (professional growth) ज्यादा तेजी से नहीं कर पाते।
- ओवरथिंकिंग का रिश्तों पर प्रभाव | Effects of overthinking on relations : अधिक विचार करने की आदत हमारी परिवाहिक और सामाजिक रिश्तों को प्रभावित करती है। हम किसी भी संवाद में शामिल नहीं होते है और इससे हमारे परिवाहिक और सामाजिक रिश्तों मे दूरी बढ़ती है।
ओवरथिंकिंग को कैसे रोके ? | Stop Overthinking In Hindi
अधिक विचार हमारे मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है, लेकिन उसे नियंत्रित करने के लिए निचे दी गई तकनीकों का उपयोग करके हम अपने जीवन को सकारात्मक और सुखमय बना सकते हैं। सही दिशा में सोचने में समय लग सकता है, लेकिन इसके लिए निरंतर प्रयास करते रहना महत्वपूर्ण है। धीरे-धीरे, आप सोचने के प्रक्रिया को संयमित कर सकते हैं और अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं।
- आत्म जागरूकता | Self-awareness : ओवरथिंकिंग को नियंत्रित करने का सबसे पहला कदम खुद को जानना। हमे अपने विचारों और भावनाओं को समझने की कोशिश करनी चाहिए। हमे पहले यह समझना चाहिए की, ओवरथिंकिंग गलत नहीं है। आप क्या सोच रहे हो इस पर निर्भर करता है। इसलिए हमे अपने – आप से कुछ सवाल पूछने होंगे , मै जिस विषय को ज्यादा सोच रहा हु, वह विषय सच मे इतना महत्त्व पूर्ण है क्या ? जो मै सोच रहा हु , क्या इससे भविष्य में कोई फायदा होगा ? इन सवालों से आप को साफ – साफ पता चलेगा ओवर थिंकिंग है या नहीं।
- ओवरथिंकिंग के प्रकार | Types of overthinking : हमें जानना जरुरी है की, ओवरथिंकिंग के दो प्रकार है। अतीत के बारे मे ज्यादा सोचना और भविष्य के बारे मे ज्यादा सोचना। अगर आप अतीत के बारे मे ज्यादा सोच रहे है ? तो उस सोच का कोई फायदा नहीं है। अतीत से केवल हम अनुभव ले सकते है , जो गलतिया अतीत मे हुवी उससे सीखना है और भविष्य मे दोहराना नहीं है। अगर आप भविष्य के बारे मे बार – बार सिर्फ सोच ही रहे है और कुछ कर नहीं रहे हो तो उसका भी कोई फायदा नहीं। आप को भविष्य का सोच कर वर्तमान मे कार्रवाही (action) करनी है।
- योग और ध्यान | Yoga and Meditation : ओवरथिंकिंग को कम करने के लिए योगा और मेडिटेशन सबसे प्रभावी उपाय है। योग और ध्यान को दैनिक दिनचर्या मे शामिल करने से अधिक विचार नियंत्रण मे आने लगते है। मन शांत होता है और हमारे जीवन मे उत्साह बढ़ने लगता है। रोज कम से कम ३० मिनिट योगा या जिम और १० मिनिट ध्यान करना जरुरी है। फिर उसको आपके समय के अनुसार बढ़ाना है। ध्यान के ऊपर सविस्तार जानकारी “सफलता के लिए ध्यान जरुरी है।” इस ब्लॉग मे दी है।
- समय का प्रबंधन | Time Management : दिन भर खाली बैठने से भी हम अधिक विचार करने लगते है। इसलिए व्यस्त (busy) रहो , अपना लक्ष्य बनाओ। उस लक्ष्य को पूरा कर ने के लिए दिनभर की योजना बनाओ। पूरा दिन व्यस्त रहने से बेकार के विचारो को समय ही नहीं मिलेगा। योजना कैसे बनाते है ? यह जानने के लिए “सफलता के लिए योजना का महत्त्व” इस ब्लॉग को पढ़े।
- लक्ष्य तय करना | Goal Setting : हम जब हम अस्पष्ट (confused) रहते है ,तो ओवर थिंकिंग मे जाते है। इसलिये जब आपके जीवन मे लक्ष्य होता है , तो आपका दिमाग उसी के बारे में सोचने लगता है। जिससे यह लक्ष्य आपके विचारो को एक दिशा मे ले जाता है और आपके मन को क्लियर हो जाता है, क्या करना है। जिससे आपकी ओवर थिंकिंग कम होती है। लक्ष्य कैसे तय करे? यह जानने के लिए “सफलता कैसे हासिल करे ?” इस ब्लॉग को पढ़े।
- संवाद करें | communicate : अपने कई विचारों को हम अपने दिल में रखते है, फिर उसे बार – बार सोचने लगते है। जिससे आप तनाव मे आ जाते है। इसलिए किसी एक करीबी दोस्त या अपने साथी के साथ उस विषय मे चर्चा करे। चर्चा करने से आप का तनाव कम होगा और आपका मन शांत हो जायेगा।
- सकारात्मक बातचीत | Positive Affirmations : खुद के साथ कम से कम १० मिनिट खुद के बारे मे अच्छी बाते करने की प्रैक्टिस कीजिये। ऐसा करने से आपके मन को सकारात्मकता से सोचने की आदत हो जायेगी। जिससे आप दिन भर एक्टिव और उत्साही रहोगे।
- विचारों को लिखे | Write Down Thoughts : ओवर थिंकिंग को कम करने के लिए पेन से पेपर पर अपने विचारों को लिख सकते है। अपने विचारो को लिखने से आप उनको बेहतर समझ सकते है। जिससे आपका मन हल्का होगा और आपके विचारों को एक दिशा मिल जायगी।
यदि आपको लगता है कि आप ओवरथिंकिंग से चिंतित हैं और यह आपके दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है, तो किसी मनोविज्ञानी से सलाह अवश्य लें।मुझे आशा है कि, यह ब्लॉग पोस्ट आपके ओवर थिंकिंग को बंद करने और अधिक शांतिपूर्ण और संतुलित मानसिकता प्राप्त करने में मदद करेगा।
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सौजन्य - संदीप माहेश्वरी (you tube)
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