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याददाश्त: हमारे मन की विशेषता

by rockingrohan523@gmail.comPosted on July 23, 2025

इंसान की सबसे बड़ी ताकत उसका दिमाग और सोचने की क्षमता होती है। हम जो कुछ भी सीखते, समझते और अनुभव करते हैं, वह सब हमारे दिमाग में संग्रहित हो जाता है। इसी संग्रहण क्षमता को हम याददाश्त कहते हैं। अच्छी याददाश्त होने से हम पढ़ाई, कामकाज और रोज़मर्रा की ज़िंदगी में बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

याददाश्त का परिचय

याददाश्त, जिसे अंग्रेजी में “memory” कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण मानसिक प्रक्रिया है जो हमारे अनुभवों, सूचनाओं और ज्ञान को संचित करने और पुनः प्राप्त करने की क्षमता प्रदान करती है। यह प्रक्रिया हमारे मस्तिष्क के जरिए विभिन्न प्रकार की जानकारी को संग्रहित करती है, जिससे हम भूतकाल के अनुभवों को याद कर सकते हैं और उन्हें वर्तमान में उपयोग कर सकते हैं। याद दाश्त की प्रक्रिया कई चरणों में विभाजित होती है, जैसे सूचना का प्रवेश (encoding), संग्रहण (storage) और पुनः प्राप्ति (retrieval)।

जब हम किसी नई जानकारी का सामना करते हैं, तो हमारा मस्तिष्क उसे संचारित करता है, जिससे वह याददाश्त में दर्ज होती है। इस प्रक्रिया में, हमारे ज्ञानेन्द्रियों द्वारा प्राप्त जानकारी को मस्तिष्क के विभिन्न भागों में संग्रहीत किया जाता है। उदाहरण के लिए, दृश्य और श्रवण संबंधित सूचनाएँ तुरंत मस्तिष्क में संग्रहित होती हैं, जो बाद में पुनः प्राप्त होने पर हमारी यादों का हिस्सा बन जाती हैं। इसके अलावा, विभिन्न प्रकार की याददाश्त होती हैं, जैसे संवेगात्मक, कार्यात्मक और दीर्घकालिक याद दाश्त, जो हमारी जानकारी को विभिन्न तरीकों से संग्रहीत करती हैं।

याददाश्त की गुणवत्ता कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें हमारी उम्र, मानसिक स्वास्थ्य और तनाव स्तर शामिल हैं। सही जानकारी को अच्छी तरह से याद रखने के लिए हमें अक्सर ध्यान केंद्रित करने और सही तकनीकों का उपयोग करने की आवश्यकता होती है। इसलिए, यह आवश्यक है कि हम यथासंभव अपना ध्यान जानकारी पर केंद्रित करें, ताकि हमारी याददाश्त मजबूत हो सके। सही तरीके से जानकारी को संग्रहीत करने से हम आसानी से उसे वापस प्राप्त कर सकते हैं, जो हमारे दैनिक जीवन में बहुत सहायक साबित होता है।

याददाश्त के प्रकार

याददाश्त

याददाश्त मानव मस्तिष्क की एक प्रमुख विशेषता है, जो हमें जानकारियों को संचित करने, उन्हें पुनर्प्राप्त करने और नए अनुभवों के माध्यम से सीखने में सक्षम बनाती है। याददाश्त के विभिन्न प्रकार हैं, जिनमें मुख्यत: कामकाजी याददाश्त, दीर्घकालिक याद दाश्त और अल्पकालिक याद दाश्त शामिल हैं।

कामकाजी याददाश्त को अक्सर संज्ञानात्मक कार्यों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। यह नियमों, निर्देशों और जानकारी को अस्थायी रूप से अपनी सोच में रखने की क्षमता है। उदाहरण के लिए, जब आप किसी प्रश्न का उत्तर देने के लिए जानकारी को एक साथ रखते हैं, तो आप अपनी कामकाजी याददाश्त का उपयोग कर रहे हैं। यह आइडियाज को प्रोसेस करने और तात्कालिक फैसले लेने में मदद करती है।

अल्पकालिक याददाश्त, जैसा कि नाम से स्पष्ट है, सीमित समय के लिए जानकारी को बनाए रखने की क्षमता है। आमतौर पर, यह कुछ सेकंड से लेकर एक या दो मिनट तक के लिए होती है। जब आप किसी फोन नंबर को याद करते हुए उसे फोन में दर्ज करते हैं, तो आप अपनी अल्पकालिक याद दाश्त का उपयोग कर रहे हैं।

दीर्घकालिक याददाश्त, दूसरे ओर, लंबे समय तक जानकारी को सहेजने की दिशा में कार्य करती है। यह हमारी जीवन के अनुभवों, शिक्षा और यादों को संग्रहीत करती है। उदाहरण के लिए, बचपन की मीठी यादें और शैक्षिक ज्ञान जो हम समय के साथ प्राप्त करते हैं, दीर्घकालिक याददाश्त का परिणाम हैं।

इन तीनों प्रकार की याददाश्त एक दूसरे से भिन्न हैं लेकिन एक साथ मिलकर हमारे ज्ञान और अनुभव को समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। याद दाश्त के ये विभिन्न प्रकार हमारी दिनचर्या और जीवन में विभिन्न गतिविधियों को संचालित करने में सहायक होते हैं।

याददाश्त का महत्व

याददाश्त, जिसको अंग्रेजी में ‘Memory’ कहते हैं, हमारे मानसिक कार्य करने की क्षमता का अभिन्न हिस्सा है। यह केवल जानकारी को संग्रहीत करने का साधन नहीं है, बल्कि हमारे अनुभवों, सीखने की प्रक्रियाओं और निर्णय लेने की क्षमताओं की नींव भी है। याददाश्त का महत्व जीवन के विभिन्न पहलुओं में महत्वपूर्ण रूप से है। उदाहरण के लिए, शिक्षा के क्षेत्र में, विद्यार्थी अपनी पढ़ाई का सार्थक अनुभव प्राप्त करने के लिए याद दाश्त पर निर्भर करते हैं। वे जो कुछ भी पाठ्यक्रम में सीखते हैं, उसे याद रखना उनके भविष्य का निर्धारण करता है।

इसके अलावा, व्यवसायिक जीवन में भी याददाश्त की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। किसी कर्मचारी को अपने कार्यों, परियोजनाओं तथा कार्य संबंधी प्रक्रियाओं को याद रखना आवश्यक है, ताकि वह प्रभावी ढंग से कार्य कर सके। याददाश्त की सहायता से वे प्राथमिकताओं को निर्धारित कर सकते हैं और समय प्रबंधन को बेहतर बना सकते हैं। इस प्रकार, याददा श्त के माध्यम से व्यक्ति अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सक्षम होता है।

व्यक्तिगत जीवन में भी याददाश्त का योगदान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह हमें हमारे रिश्तों को मजबूत बनाने, परिवार की घटनाओं को याद रखने और विशेष अवसरों को मनाने में सहायता करती है। यदि हमारी याददाश्त ठीक से कार्य नहीं कर रही हो, तो यह न केवल हमारी व्यक्तिगत पहचान को प्रभावित कर सकती है, बल्कि हमारे आस-पास के लोगों के साथ भी संबंधों में विघ्न डाल सकती है। इस प्रकार, याद दाश्त किसी भी व्यक्ति के जीवन में एक अनिवार्य स्थान रखती है, चाहे वह कार्य क्षेत्र में हो या व्यक्तिगत जीवन में।

याददाश्त को मजबूत करने के तरीके

याददाश्त को मजबूत करने के लिए कई सरल और प्रभावी तरीके अपनाए जा सकते हैं, जो किसी भी व्यक्ति की मानसिक क्षमता में सुधार करने में सहायक होते हैं। सबसे पहले, आहार पर ध्यान दें। एक संतुलित आहार, जिसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड, फल और सब्जियाँ शामिल हों, मस्तिष्क के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत फायदेमंद होता है। विशेष रूप से, अखरोट, मछली और हरी चाय जैसे खाद्य पदार्थ याद दाश्त में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

दूसरा, नियमित शारीरिक व्यायाम मानसिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। व्यायाम केवल शरीर के स्वास्थ्य को नहीं बल्कि मस्तिष्क के कार्यों को भी उत्तेजित करता है। हर रोज कम से कम 30 मिनट का सक्रिय व्यायाम, जैसे तेज चलना या योग, याददाश्त के लिए लाभदायक होता है। इसके अलावा, शारीरिक सक्रियता के कारण, मस्तिष्क में ऑक्सीजन और पोषक तत्वों का प्रवाह बढ़ता है, जिससे याद दाश्त में सुधार होता है।

इसके साथ ही, ध्यान और ध्यान साधना भी याददाश्त को मजबूत करने के बेहद प्रभावशाली तरीके हैं। ध्यान से मानसिक स्पष्टता बढ़ती है और चिंताओं और तनाव को कम करने में सहायता मिलती है, जो याद दाश्त के लिए हानिकारक हो सकते हैं। प्रतिदिन कुछ समय ध्यान में बिताने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता में वृद्धि होती है।

अन्य गतिविधियों जैसे मस्तिष्क-खेल, पहेलियाँ हल करना, या नई चीजें सीखना जैसे शौक भी आपकी याददाश्त को तेज कर सकते हैं। इन गतिविधियों से मस्तिष्क की अनुस्मृति और मानसिक चातुर्य में सुधार होता है।

इन सरल भोज्य पदार्थों, व्यायाम, ध्यान, और मानसिक गतिविधियों के माध्यम से, याददाश्त को महत्वपूर्ण रूप से मजबूत करने के कई तरीके मौजूद हैं, जिन्हें आप अपने दैनिक जीवन में आसानी से लागू कर सकते हैं।

याददाश्त में होने वाली समस्याएँ

याददाश्त से जुड़ी समस्याएँ एक महत्त्वपूर्ण विषय हैं, जो व्यक्तियों के जीवन में विभिन्न तरीकों से असर डाल सकती हैं। भूलने की बीमारी, जिसे आमतौर पर अम्नेशिया के रूप में जाना जाता है, एक ऐसी स्थिति है जहां व्यक्ति नई जानकारी को याद रखने या पुरानी जानकारी को पुनः प्राप्त करने में कठिनाई महसूस करता है। यह समस्या किसी आघात, संक्रमण, या दवा के प्रभाव से उत्पन्न हो सकती है, और यह व्यक्ति की दैनिक गतिविधियों में बाधा डाल सकती है।

अल्जाइमर रोग, जो याददाश्त हानि का एक प्रमुख कारण है, विशेषकर बुजुर्गों में अधिक प्रचलित है। यह एक संवृद्धि संबंधी मस्तिष्क विकार है, जो धीरे-धीरे याद दाश्त, सोचने की क्षमता, और व्यवहार पर असर डालता है। इसके चलते व्यक्ति अपने दैनिक कार्यों को करने में असमर्थ हो सकता है, और यह न केवल प्रभावित व्यक्ति बल्कि उनके परिवार के लिए भी एक चुनौती बन जाता है। वैज्ञानिक अध्ययनों से पता चलता है कि अल्जाइमर के लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं, जिससे पहले चरणों में पहचानना कठिन हो जाता है।

अन्य मानसिक विकार, जैसे कि डिमेंशिया, भी याददाश्त से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न कर सकते हैं। यह एक व्यापक श्रेणी है जिसमें विभिन्न प्रकार के याददाश्त हानि संबंधी मुद्दे शामिल हो सकते हैं। डिमेंशिया केवल याद दाश्त पर ही नहीं, बल्कि दैनिक जीवन के अन्य क्षेत्रों पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। इसके रोगियों को पता चल सकता है कि वे छोटी-छोटी चीजें भूल रहे हैं, जैसे कि किसी का नाम या दिनांक, जो बाद में अधिक जटिल समस्याओं में बदल सकता है।

याददाश्त से जुड़ी ये समस्याएँ स्पष्ट रूप से हमारे मानसिक स्वास्थ्य का एक अभिन्न हिस्सा हैं और हमें इसकी रक्षा और सुधार करने के उपायों पर विचार करने की आवश्यकता है।

याददाश्त परीक्षण और मापन

याददाश्त का परीक्षण और मापन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जो व्यक्ति की संज्ञानात्मक क्षमताओं को समझने में सहायता करती है। विभिन्न परीक्षणों के माध्यम से, व्यक्ति अपनी याद की स्थिति का आकलन कर सकता है। सामान्य तौर पर, याददाश्त परीक्षण विभिन्न प्रकार के होते हैं, जैसे कि शॉर्ट-टर्म मेमोरी टेस्ट, लॉन्ग-टर्म मेमोरी असेसमेंट, और वर्किंग मेमोरी टेस्ट।

शॉर्ट-टर्म मेमोरी टेस्ट में, व्यक्ति को कुछ शब्दों की एक सूची प्रदान की जाती है, जिन्हें उसे तुरंत याद करना होता है। यह परीक्षण यह दिखाने में मदद करता है कि व्यक्ति कितनी जल्दी और कितनी ठीक से सूचना को याद कर सकता है। दूसरी तरफ, लॉन्ग-टर्म मेमोरी असेसमेंट लंबी अवधि के लिए सूचना को संग्रहीत करने की क्षमता को मापता है, जिसमें व्यक्ति को दिन-प्रतिदिन की गतिविधियों को याद करने की आवश्यकता होती है।

वर्किंग मेमोरी टेस्ट एक और महत्वपूर्ण परीक्षण है जो बताता है कि व्यक्ति कितनी जानकारी को एक ही समय में संभाल सकता है। यह परीक्षण आमतौर पर जटिल कार्यों को हल करने के दौरान किया जाता है, जिसमें व्यक्ति को याद रखना होता है कि उसने पहले क्या सीखा था। इन परीक्षणों का महत्व केवल वैज्ञानिक या शैक्षणिक क्षेत्र में नहीं, बल्कि दैनिक जीवन में भी है।

व्यक्तिगत सुधार के लिए इन परीक्षणों में मिले परिणामों का विश्लेषण करना आवश्यक होता है। यदि किसी व्यक्ति की याददाश्त में कमी नजर आती है, तो वे विभिन्न तकनीकों और अभ्यासों के माध्यम से इसे सुधारने के उपाय कर सकते हैं। इसलिए, याद दाश्त का उचित परीक्षण और मापन न केवल आत्म-संवेदनशीलता को बढ़ावा देता है, बल्कि जीवन की गुणवत्ता को भी सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकता है।

याददाश्त के लिए उपयोगी टूल और तकनीकें

याददाश्त को सुधारने और बनाए रखने के लिए कई टूल और तकनीकें उपलब्ध हैं, जो व्यक्ति की मानसिक शक्ति को बढ़ाने में सहायक होती हैं। तकनीकी साधनों एवं विधियों का उचित उपयोग करके, व्यक्ति अपनी याददाश्त को बेहतर बना सकता है। इस संदर्भ में, स्मार्टफोन एप्लीकेशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए, “Anki” और “Lumosity” जैसे एप्लिकेशन विशेष रूप से याददाश्त सुधारने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। ये एप्लिकेशन उपयोगकर्ताओं को कार्ड आधारित सीखने और मस्तिष्क व्यायामों के माध्यम से चुनौती देते हैं।

इसके अतिरिक्त, मेथोडोलॉजी जैसे ‘माइंड मैपिंग’ और ‘एसोसिएटिव मेमोरी’ भी याददाश्त को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण होती हैं। माइंड मैपिंग तकनीक उपयोगकर्ता को जानकारी को व्यवस्थित और द्वंद्व में संरचित करने की अनुमति देती है, जिससे याददाश्त को मजबूती मिलती है। इसी प्रकार, एसोसिएटिव मेमोरी तकनीक उस जानकारी को जोड़ने में सहायता करती है जो पहले से ज्ञात होती है, जिससे नई जानकारी को याद रखना आसान हो जाता है।

कुछ तकनीकें जैसे चित्रण, संगठित अध्ययन स्थलों का निर्माण, और नियमित रूप से मानसिक व्यायाम करना भी याददाश्त को बेहतर बनाने में सहायक होते हैं। उदाहरण के लिए, किसी घटना का चित्रण उस घटना को याद रखने में मदद कर सकता है, जबकि एक व्यवस्थित अध्ययन स्थल व्यक्ति को ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।

अंत में, ये टूल और तकनीकें याददाश्त को बनाए रखने और सुधारने के लिए आवश्यक हैं। जब व्यक्ति एक अच्छी अध्ययन योजना और नियमित व्यायाम को अपने दैनिक जीवन में शामिल करता है, तो उसकी मानसिक क्षमता में वृद्धि होती है, जिससे याददाश्त को कारगर तरीके से बनाए रखना संभव होता है।

याददाश्त और सीखना

याददाश्त, किसी व्यक्ति की जानकारी को एकत्रित करने, संरक्षित करने और उस जानकारी को बाद में पुनः प्राप्त करने की क्षमता है। यह मानसिक प्रक्रिया न केवल हमारे दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सीखने के लिए भी आवश्यक है। जब हम नई जानकारी प्राप्त करते हैं, तो हमारी याद इस जानकारी को संग्रहीत करती है, जिससे हम उसे आसानी से याद कर सकें और अपनी समझ को बढ़ा सकें। अच्छी याद का होना निश्चित रूप से सीखने की प्रक्रिया को सरल और प्रभावी बना सकता है।

सीखने की प्रक्रिया विभिन्न चरणों से गुजरती है, जिसमें ग्रहणशीलता, समझ और अंततः पुनः उपयोग शामिल है। इन सभी चरणों के लिए एक ठोस याददाश्त की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए, जब कोई छात्र किसी विषय को पढ़ता है, तो उसे पहले उस विषय की जानकारी को समझने में मदद की आवश्यकता होती है। यदि उसकी याददाश्त मजबूत है, तो वह आसानी से महत्वपूर्ण बिंदुओं को पकड़ सकता है और उन्हें समझ सकता है। यह प्रक्रिया बाद में परीक्षा की तैयारी या किसी अन्य संदर्भ में उल्लेखनीय मदद करती है।

इसके अतिरिक्त, एक अच्छी याददाश्त अध्ययन के दौरान विभिन्न तकनीकों का उपयोग करने का लाभ भी देती है, जैसे कि मेटाकोग्निटिव रणनीतियों का प्रयोग। जब हम अपनी याद को सक्रिय रूप से सुधारने के लिए प्रयास करते हैं, जैसे कि नियमित रूप से रिवीज़ करना या जानकारी को सारांशित करना, तो यह न केवल ज्ञान को स्थाई रूप से सहेजती है, बल्कि सीखने की गति को भी तेज करती है। सुधारित याद के साथ, छात्र और पेशेवर दोनों ही अधिक आत्मविश्वास के साथ नई जानकारियों का सामना कर सकते हैं।

अंततः, यह स्पष्ट है कि याददाश्त और सीखने के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है। एक सशक्त याददाश्त शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ा सकती है और ज्ञान के अधिग्रहण की प्रक्रिया को अधिक प्रभावी बना सकती है।

निष्कर्ष

वर्तमान लेख में, हमने याददाश्त के महत्व और इसकी विशेषताओं पर विचार किया है। याद हमारे जीवन का एक अभिन्न अंग है, जो न केवल हमारी पहचान को आकार देती है, बल्कि हमारे अनुभवों, विचारों और ज्ञान को संरक्षित करने में भी मदद करती है। जब हम याद की बात करते हैं, तो हम केवल अतीत में हुई घटनाओं को नहीं देखते हैं, बल्कि यह भी जरूरी है कि हम भविष्य की योजनाएं और लक्ष्यों को समझने और उनके प्रति संवेदनशील रहें। इसके माध्यम से, हम अपने अनुभवों से सीख सकते हैं और अपने निर्णयों को बेहतर बना सकते हैं।

हमने चर्चा की कि एक मजबूत याददाश्त कैसे निश्चित तरीके से विकसित की जा सकती है, जैसे नियमित मस्तिष्क व्यायाम, पर्याप्त नींद, और स्वस्थ खान-पान। इसके अलावा, सामाजिक इंटरैक्शन और मानसिक गतिविधियाँ भी याददाश्त और संज्ञानात्मक कार्यप्रणाली को बढ़ाने में सहायक होती हैं। इस प्रकार, याद दाश्त केवल व्यक्तिगत विकास का साधन नहीं है, बल्कि यह समग्र जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

आप सभी पाठकों का धन्यवाद कि आपने इस लेख को पढ़ा और याददाश्त की भूमिका को समझने का प्रयास किया। याददाश्त का विकास और संरक्षण एक सतत प्रक्रिया है, जो हमें स्वयं को पहचानने और अपने जीवन को समृद्ध बनाने में मदद करती है। आशा करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण पहलू को पहचान कर, इसे मजबूत करने के लिए आवश्यक कदम उठाएंगे। आपकी स्मृति केवल आपकी पहचान का ही नहीं, बल्कि आपके पूरे जीवन की नींव है।

याददाश्त इंसान की एक अनमोल क्षमता है। अगर हम अपनी याददाश्त का सही तरीके से उपयोग करें और उसे मजबूत बनाए रखें, तो जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकते हैं। याददाश्त को तेज करने के लिए ध्यान, सही आहार और अभ्यास सबसे जरूरी हैं।

“तेज़ याददाश्त, सफल जीवन की चाबी है।”

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