हमारा जीवन एक खुली किताब की तरह होता है, जिसमें हर दिन एक नया पन्ना जुड़ता है। हर अनुभव, हर व्यक्ति और हर स्थिति हमें कुछ न कुछ सिखाती है। इन्हीं अनुभवों को हम कहते हैं – जीवन की सीख । यह सीखें ही हमें बेहतर इंसान बनाती हैं और हमारे जीवन को सही दिशा देती हैं।
जीवन की सीख का महत्व
जीवन की सीख का महत्व हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक विकास में अत्यधिक है। हम सभी अपने-अपने अनुभवों और संघर्षों से सीखते हैं, जो हमारे चरित्र और दृष्टिकोण को आकार देते हैं। हर कठिनाई जो हम सामना करते हैं, एक अवसर के रूप में काम करती है, जिससे हम मजबूत बनते हैं और जीवन के विभिन्न पहलुओं को समझने में सक्षम होते हैं। यह सीख हमारे निर्णय लेने की क्षमता को बेहतर बनाती है और हमें सही मार्गदर्शन प्रदान करती है।
एक व्यक्ति अपने जीवन में विभिन्न अनुभवों का सामना करता है, जैसे कि असफलताएँ, सफलता, तनाव, या खुशी। ये अनुभव हमें सिखाते हैं कि परिस्थितियों का सामना किस प्रकार करना है। जब हम कठिनाइयों का सामना करते हैं, तो हम अपने आप को बेहतर बनाते हैं। उदाहरण के लिए, एक व्यक्ति जो बार-बार असफल होता है, वह अंततः अपनी गलतियों से कुछ महत्वपूर्ण सीख लेता है जिससे उसे आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। इस प्रक्रिया में, वह मानसिक रूप से मजबूत होता है और उसे अपने लक्ष्यों के प्रति प्रतिबद्धता विकसित करने में मदद मिलती है।
सिर्फ व्यक्तिगत अनुभव ही नहीं, बल्कि दूसरों की कहानियाँ भी हमें महत्वपूर्ण जीवन की सीख प्रदान कर सकती हैं। जब हम दूसरों के संघर्ष और सफलताओं को सुनते हैं, तो हम उनकी जानकारियों का उपयोग करके अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं। यह अंतर्दृष्टि हमें नई प्रेरणा देती है और हम अपने कठिनाइयों को शांतिपूर्ण तरीके से स्वीकार करते हैं। इस प्रकार, जीवन की सीख न केवल हमें सशक्त बनाती है, बल्कि हमें समझदारी से सोचने और काम करने की दिशा में भी प्रेरित करती है।
जीवन की कुछ जरूरी सीखें

समय की कदर करो
समय कभी वापस नहीं आता। जो लोग समय का सही उपयोग करते हैं, वही जीवन में सफल होते हैं।ईमानदारी सबसे बड़ी पूंजी है
झूठ और धोखा कुछ समय के लिए फायदा दे सकते हैं, लेकिन लंबे समय में ईमानदारी ही सम्मान दिलाती है।मुसीबतें सिखाती हैं लड़ना
जब जीवन में मुश्किलें आती हैं, तो हम मजबूत बनते हैं।
यही मुश्किल समय हमें सिखाता है कि कैसे आगे बढ़ना है।हर किसी से कुछ सीखो
बड़े हों या छोटे, हर व्यक्ति हमें कुछ सिखा सकता है। बस नज़र सीखने वाली होनी चाहिए।गलतियों से डरना नहीं, सीखना है
गलती करना बुरा नहीं, लेकिन उनसे कुछ न सीखना सबसे बड़ी गलती है।
पहला सबक: असफलताओं से सीखना
असफलता एक ऐसा अनुभव है जो हर व्यक्ति के जीवन में विभिन्न रूपों में आता है। फिर भी, इसे अक्सर नकारात्मक दृष्टिकोण से देखा जाता है, जबकि वास्तव में, असफलता जीवन का एक महत्वपूर्ण अध्याय है। जब हम असफल होते हैं, तो हमें कई चीजों का सामना करना पड़ता है, जिसमें मानसिक दबाव, हताशा और आत्म-संदेह शामिल हैं। लेकिन इसी असफलता से गुजरते समय, हम कई महत्वपूर्ण सीखें प्राप्त कर सकते हैं, जो हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में सहायक होती हैं।
असफलता हमें मजबूत बनाती है, और यह हमें अपने लक्ष्यों के प्रति और अधिक दृढ़ नायक बनाती है। उदाहरण के लिए, एक उद्यमी जो अपने पहले व्यवसाय में असफल होता है, वह न केवल अनुभव प्राप्त करता है, बल्कि वह अपने अगले प्रयास में बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होता है। इस प्रकार, असफलता एक मूल्यवान शिक्षक के रूप में कार्य करती है। इससे हमें अपनी गलतियों को पहचानने और उन्हें सुधारने का अवसर मिलता है।
एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि असफलता हमें नई दिशाओं की खोज करने के लिए प्रेरित कर सकती है। कभी-कभी, एक असफलता हमें ऐसे विकल्पों या रास्तों का पता लगाती है, जिनके बारे में हमने पहले सोचा भी नहीं था। यह हमें आत्म-विश्लेषण का मौका देती है और हमें हमारे वास्तविक लक्ष्यों और प्राथमिकताओं से अवगत कराती है।
इस प्रकार, असफलता केवल एक बाधा नहीं है, बल्कि यह विकास एवं सीखने का एक महत्वपूर्ण साधन है। जब हम इसमें सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, तो यह हमें आगे बढ़ने और अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती है। अंततः, असफलताओं से सीखना हमें जीवन की जटिलताओं का सामना करने के लिए और भी अधिक तैयार करता है।
दूसरा सबक: धैर्य का महत्व
जीवन में धैर्य एक महत्वपूर्ण गुण है, जो न केवल हमें कठिनाइयों का सामना करने की क्षमता प्रदान करता है, बल्कि हमारे व्यक्तिगत और सामाजिक रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करता है। धैर्य का अर्थ किसी भी परिस्थिति में संयम बनाए रखना और अपेक्षित परिणामों के लिए प्रतीक्षा करना है। यह गुण हमें सिखाता है कि जीवन के चुनौतीपूर्ण क्षणों में हमें घबराना नहीं चाहिए, बल्कि सतर्क रहकर निर्णय लेना चाहिए।
धैर्य का महत्व कई विविध तरीके से प्रकट होता है। पहले, यह तनाव को कम करने में मदद करता है। जब हम धैर्य रखते हैं, तो हम अचानक निर्णय लेने से बचते हैं, जिससे हमारे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है। धैर्य हमें बेहतर सोचने और अधिक जानकारीपूर्ण निर्णय लेने की क्षमता देता है। उदाहरण के लिए, कामकाजी जीवन में, धैर्य रखने वाले व्यक्ति अक्सर बेहतर परिणाम प्राप्त करते हैं।
दूसरे, धैर्य हमारे रिश्तों को विकसित करने में सहायक होता है। जब हम दूसरों के प्रति धैर्य रखते हैं, तो यह सम्मान और समझ का वातावरण बनाता है। ऐसे वातावरण में, व्यक्ति अधिक खुले होते हैं, जो अंततः आपसी विश्वास और सहयोग को बढ़ावा देता है। इसके अतिरिक्त, धैर्य हमें मुकाबला करने की तकनीकें भी सिखाता है, जो हमें कठिन परिस्थितियों में संजीवनी प्रदान करती हैं।
अंत में, हम यह कह सकते हैं कि धैर्य का महत्व हमारे जीवन के हर पहलू में निहित है। यह केवल एक गुण नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों से सीखने का एक अनिवार्य हिस्सा है, जो हमें आत्म-अनुशासन, सहयोग, और मानसिक शांति की ओर ले जाता है।
तीसरा सबक: सकारात्मक सोच
पॉजिटिव थिंकिंग, यानि सकारात्मक सोच, जीवन में सफलता और खुशहाली के लिए एक महत्वपूर्ण तत्व है। यह केवल एक मानसिकता नहीं, बल्कि एक ऐसा दृष्टिकोण है जिसे हम कठिनाइयों और चुनौतियों के बीच अपनाते हैं। जब हम सकारात्मक सोच को अपने जीवन में शामिल करते हैं, तो यह न केवल हमारे मानसिक स्वास्थ्य पर सकारात्मक प्रभाव डालता है, बल्कि इससे हमारे समग्र स्वास्थ्य और संतुलित जीवन में भी सुधार होता है।
सकारात्मक सोच के कई फायदे होते हैं। सबसे पहले, यह तनाव को कम करने में मदद करता है। जब हम एक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं, तो हम समस्याओं को कम गंभीरता से लेते हैं, जिससे मानसिक तनाव का स्तर कम होता है। इसके अलावा, सकारात्मक सोच से हमें आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में वृद्धि देखने को मिलती है। जब हम अपने आप पर विश्वास करते हैं, तो हम कठिनाइयों का सामना करने के लिए अधिक सक्षम हो जाते हैं।
कठिन वक्त में, सकारात्मक सोच हमें प्रेरित करती है। हम मुश्किल हालात के बजाय समाधान की बात करना शुरू करते हैं। उदाहरण के लिए, अगर कोई असफलता हमारे सामने आती है, तो सकारात्मक सोच हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि हम इस अनुभव से क्या सीख सकते हैं, बजाय इसके कि हम केवल निराश हों। यह दृष्टिकोण हमें नई संभावनाओं के बारे में सोचने के लिए प्रोत्साहित करता है।
अंत में, सकारात्मक सोच न केवल हमारे विचारों और भावनाओं को प्रभावित करती है, बल्कि यह हमारे जीवन के हर पहलू में परिवर्तन लाने में सहायक होती है। यह चुनौतीपूर्ण Situations में हमें अधिक लचीलापन प्रदान करती है और हमें लगातार आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती है।
चौथा सबक: अपनों का महत्व
जीवन में हर व्यक्ति का अनुभव अद्वितीय होता है, लेकिन एक बात जो सभी के लिए समान होती है, वह है अपनों का महत्व। परिवार और दोस्तों का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण स्थान होता है। वे न केवल हमारी खुशियों में शामिल होते हैं, बल्कि कठिनाइयों के समय में भी हमारे साथ खड़े रहते हैं। जब हम अपनी समस्याओं का सामना करते हैं, तो करीबी लोग हमें विश्वास और समर्थन प्रदान करते हैं, जो हमारे लिए दिसंबर के ठंडे महीने में गर्माहट का काम करता है।
आपके जीवन में अगर कोई मुश्किल आती है, तो आपके परिवार और मित्रों का सहारा आपके लिए बहुत मायने रखता है। वे न केवल भावनात्मक समर्थन देते हैं, बल्कि उनके अनुभव और सलाह हमें कठिन परिस्थितियों से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, एक परिवार का सदस्य या मित्र जो आपकी स्थिति को समझता है, वह सही दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है और आपको प्रेरित कर सकता है।
विशेषज्ञों का कहना है कि एक समर्थक नेटवर्क बनाने से न केवल तनाव कम होता है, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य भी सुधारता है। जब हम अपने प्रियजनों के साथ समय बिताते हैं, तो न केवल हम खुशी महसूस करते हैं, बल्कि यह हमें सोचने के लिए एक सकारात्मक दृष्टिकोण भी प्रदान करता है। अपनों का साथ हमें आत्म-समर्पण और अनुशासन सिखाता है, जिससे हम जीवन की मुश्किलताओं का सफलतापूर्वक सामना कर सकें।
इस प्रकार, अपनों का महत्व केवल भावनात्मक समर्थन तक सीमित नहीं है। वे हमारे जीवन के सफर में अनमोल भागीदार होते हैं, जो हर परिस्थिति में हमें बल प्रदान करते हैं। यही कारण है कि हमें अपने रिश्तों को संजोने और उन्हें मजबूत करने पर ध्यान देना चाहिए।
पाँचवां सबक: निरंतर सीखना
जीवन में निरंतर सीखने का महत्व अत्यंत प्रशंसनीय है। हर दिन नए ज्ञान और अनुभवों का समावेश हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर विकास में महत्वपूर्ण योगदान करता है। यह एक निरंतर प्रक्रिया है, जिसमें हम अपने चारों ओर के वातावरण से, लोगों से और अपने स्वयं के अनुभवों से सीखते हैं। निरंतर सीखना हमें जीवन की चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करता है और हमें समस्या समाधान में सक्षम बनाता है।
नई जानकारी और कौशलों को अपनाने से हमें उस तेजी से बदलती दुनिया में बने रहने में मदद मिलती है, जिसमें हम रहते हैं। चाहे वह नई तकनीकों का ज्ञान हो या भावनात्मक बुद्धिमत्ता में वृद्धि, सीखना एक ऐसा रास्ता है जिसके माध्यम से हम अपनी क्षमताओं को विस्तारित कर सकते हैं। इसके अलावा, निरंतर सीखना हमें आत्म-जागरूकता और आत्म-विकास में सहायक होता है, जिससे हमारी निर्णय लेने की क्षमता में वृद्धि होती है।
हमारे जीवन में हर दिन संज्ञानात्मक चुनौती लाता है, और यदि हम इसे स्वीकार करते हैं, तो हम बहुआयामी बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, जब हम एक नई भाषा सीखते हैं या किसी नए शौक को अपनाते हैं, तो यह हमें सिर्फ उस विषय में विशेषज्ञ नहीं बनाता, बल्कि हमारे सोचने की प्रक्रिया और रचनात्मकता को भी बढ़ाता है।
इस प्रकार, निरंतर सीखना केवल एक गतिविधि नहीं है, बल्कि यह हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा है। यह हमें जीवन की अनिश्चितताओं का सामना करने के लिए मजबूत बनाता है और हर अनुभव के साथ हमें समृद्ध करता है।
छठा सबक: आत्मनिरीक्षण
आत्मनिरीक्षण एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें व्यक्ति अपने विचारों, भावनाओं, और कार्यों का विशेष रूप से विश्लेषण करता है। यह न केवल अपने आप को जानने में मदद करता है, बल्कि हमारे व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जब हम खुद का आत्मनिरीक्षण करते हैं, तब हम अपने कार्यों और उनके परिणामों पर एक नई दृष्टि प्राप्त करते हैं। यह समझना आवश्यक है कि आत्मनिरीक्षण केवल अपने दोषों को पहचानने का एक साधन नहीं है, बल्कि यह सकारात्मक गुणों की पुष्टि करने का अवसर भी है।
अपने भीतर झाँकने से हम यह समझ पाते हैं कि किन परिस्थितियों में हम अच्छी और खराब प्रतिक्रियाएँ देते हैं। आत्मनिरीक्षण करने से हमें अपने अंतर्निहित विचारों का पता चलता है और हम अपने निर्णयों का पुनर्मूल्यांकन कर सकते हैं। इससे हमें यह जानने में मदद मिलती है कि क्या हम अपने मूल्यों और लक्ष्यों की दिशा में सही दिशा में बढ़ रहे हैं। इसके अलावा, यह प्रक्रिया हमें अनुशासन और आत्म-प्रेरणा को विकसित करने में भी सहायक होती है।
जब हम आत्मनिरीक्षण का अभ्यास करते हैं, तब हम अपने जीवन में एक स्पष्टता लाते हैं। यह न केवल हमें हमारी प्रगति पर विचार करने का अवसर देता है, बल्कि हमें अपने भविष्य के लक्ष्यों को निर्धारित करने में भी सहायता करता है। नियमित रूप से आत्मनिरीक्षण करना जीवन की सीख के रूप में कार्य करता है, जिससे हम न केवल अपने व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देते हैं, बल्कि समाज में भी सकारात्मक योगदान कर पाते हैं। इस तरह, आत्मनिरीक्षण के माध्यम से हम अपने भीतर के गूढ़ रहस्यों को उजागर करते हैं और इस प्रक्रिया में अपने जीवन को और अधिक समृद्ध बनाते हैं।
सातवां सबक: चुनौतियों का सामना करना
जीवन में कई बार हमें चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, चाहे वे व्यक्तिगत हों या व्यावसायिक। चुनौतियों से निपटने की कला हमें न केवल मजबूत बनाती है, बल्कि हमें अपनी सीमाओं को पार करने और नए अवसरों को खोजने के लिए प्रेरित करती है। एक सकारात्मक दृष्टिकोण और ठोस रणनीतियों के माध्यम से, हम इन कठिनाइयों को अवसरों में बदल सकते हैं।
पहला कदम चुनौतियों का सामना करने के लिए आत्म-स्वीकृति है। जब हम अपनी समस्याओं और कठिनाइयों को स्वीकार करते हैं, तो हम उनके प्रति सतर्क होकर बेहतर निर्णय लेने में सक्षम होते हैं। यह स्वीकार्यता मनोबल को बनाए रखती है और हमें निराशा के स्थान पर संघर्ष के लिए प्रेरित करती है। इसके अतिरिक्त, हमें यह जानने की आवश्यकता है कि हर चुनौती एक सीखने का अनुभव है। हर कठिनाई हमें न केवल खुद को समझने का मौका देती है, बल्कि हमारे कौशल और क्षमताओं को भी विकसित करती है।
दूसरा उपाय योजना बनाना है। जब चुनौती का सामना करना होता है, तो एक स्पष्ट योजना बेहद महत्वपूर्ण होती है। एक सुव्यवस्थित योजना हमें एक लाभकारी दृष्टिकोण के साथ स्थिति का सामना करने की ताकत देती है। उदाहरण के लिए, यदि आप किसी व्यक्तिगत या कार्य संबंधी चुनौती का सामना कर रहे हैं, तो पहले उन कारकों की पहचान करें जो आपके कार्य में बाधा डाल रहे हैं। इसके बाद, प्रत्येक समस्या के लिए विकल्प और समाधान विकसित करें।
तीसरा, और शायद सबसे महत्वपूर्ण, मानसिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देना है। तनाव और चिंता चुनौतियों का सामना करते समय एक सामान्य अनुभव हो सकता है, लेकिन यह अत्यंत आवश्यक है कि हम अपनी मानसिक भलाई का ध्यान रखें। ध्यान, योग, और समुचित विश्राम से हमें मानसिक स्थिरता प्राप्त होती है, जिससे हम कठिन समय में भी स्थिरता और धैर्य बनाए रख सकते हैं।
इन उपायों का संदर्भ लेते हुए, यह स्पष्ट है कि जीवन की चुनौतियों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ स्वीकृत कर, संजीवनी देने वाले उपायों से सुसज्जित होकर, हम न केवल उनसे निपट सकते हैं, बल्कि अपनी यात्रा को और भी समृद्ध बना सकते हैं।
आठवां सबक: जीवन का संतुलन
जीवन में संतुलन बनाए रखना एक अत्यंत महत्वपूर्ण कौशल है, जिसे हम सभी को अपनी दिनचर्या में शामिल करना चाहिए। आधुनिक जीवन की तेज़ रफ्तार, काम के दबाव और व्यक्तिगत जिम्मेदारियों से भरी होती है, जिसके कारण संतुलन बनाए रखना मुश्किल हो सकता है। कार्य, पारिवारिक जीवन और व्यक्तिगत समय के बीच सही संतुलन प्राप्त करना न केवल मानसिक स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, बल्कि यह हमारी समग्र भलाई को भी प्रभावित करता है।
कामकाजी व्यक्ति अक्सर अपने करियर को प्राथमिकता देते हैं और पारिवारिक और व्यक्तिगत समय को नजरअंदाज कर देते हैं। हालांकि, ऐसा करना दीर्घकालिक रूप से लाभकारी नहीं होता। संतुलन बनाने के लिए सबसे पहले हमें अपनी प्राथमिकताओं को पहचानना होगा। यह समझना आवश्यक है कि कार्य ज़िम्मेदारियों के साथ-साथ व्यक्तिगत संबंध और स्वयं का रखरखाव equally महत्वपूर्ण हैं।
कार्य के घंटों के यह जरूरी है कि हम विवेकपूर्ण ढंग से अपनी सीमाएं तय करें। कार्यक्षेत्र में स्पष्ट समय निर्धारित करें और साथ ही घर पर भी परिवार के साथ समय बिताने के लिए खुद को प्रोत्साहित करें। इसके अलावा, व्यक्तिगत समय को महत्व देकर, जैसे कि शौक, ध्यान या व्यायाम में समय बिताने से जीवन में संतुलन बनाने में मदद मिलती है।
स्वास्थ्य और खुशी के लिए आवश्यक है कि हम अपनी ज़िन्दगी के विभिन्न पहलुओं के बीच एक संतुलन बनाएं। जब हम काम, गृहस्थ जीवन और व्यक्तिगत विकास के बीच संतुलित रहते हैं, तो यह न केवल हमें मानसिक शान्ति प्रदान करता है, बल्कि हमें एक सफल और खुशहाल जीवन जीने का अवसर भी देता है।
नौवां सबक: दूसरों की मदद करना
दूसरों की मदद करना न केवल एक नैतिक दायित्व है, बल्कि यह हमारे स्वयं के जीवन में भी परिवर्तन ला सकता है। जब हम अपने आसपास के लोगों की भलाई के लिए कार्य करते हैं, तो यह हमारे जीवन को अधिक उद्देश्यपूर्ण और सार्थक बनाता है। सामाजिक सेवा और सहयोग की भावना हमें एकजुट करती है और हम सभी को व्यक्तिगत चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए, हमें अपने समय, संसाधनों और ज्ञान का सही उपयोग करना चाहिए। जब हम दूसरों की जरूरतों के प्रति संवेदनशील होते हैं, तो हम न केवल उन्हें सहायता प्रदान करते हैं, बल्कि अपने आप में भी एक आंतरिक संतोष का अनुभव करते हैं। इससे हमें खुद के जीवन में खुशी और संतुलन भी मिलता है। उदाहरण के लिए, स्वयंसेवी कार्यों में शामिल होना या किसी बेसहारा को सहायता प्रदान करना न केवल उनके लिए महत्वपूर्ण होता है, बल्कि यह हमारे आत्म-सम्मान और जीवन के प्रति दृष्टिकोण को भी बेहतर बनाता है।
इसके अतिरिक्त, दूसरों की मदद करने से आपसी संबंध मजबूत होते हैं। एक सहायक समुदाय में, लोग ज्यादा एकजुट होते हैं और वे एक-दूसरे के प्रति जिम्मेदार भी बनते हैं। यह न केवल समाज के विकास में सहायक है, बल्कि व्यक्तिगत स्तर पर भी एक बड़ा बदलाव लाता है। जब लोग एकजुट होकर दूसरों की भलाई के लिए कार्य करते हैं, तो वे सामाजिक चक्रव्यूह को तोड़ते हैं और एक सकारात्मक जीवनशैली को बढ़ावा देते हैं।
इस प्रकार, हम सभी को दूसरों की मदद करने की भावना को अपनाना चाहिए। यह केवल दूसरों के लिए नहीं, बल्कि हमारे अपने जीवन के लिए भी फायदेमंद सिद्ध होता है। हमें याद रखना चाहिए कि मदद का एक छोटा सा कार्य भी समाज में बड़ा बदलाव ला सकता है।
निष्कर्ष: जीवन की सीख
जीवन की सीख हमें वही जीवन देता है, जो हम जीते हैं। हर दिन कुछ सिखने का मौका होता है। अगर हम हर अनुभव से कुछ सीख लें, तो हमारा जीवन और भी सुंदर, सफल और सच्चा बन सकता है।
“सीख कभी खत्म नहीं होती, जीवन भर चलती रहती है।”
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