अपने देश में खेलों को कामयाबी का लक्ष्य नहीं बनाया जाता। अपने देश में बहुतांश लोग खेल को अपने जीवन में दुय्यम दर्जा देते है।
क्यों?
विश्व की सभी देशो में से दूसरे स्थान की सबसे ज्यादा लोकसंख्या होने के बावजूद, ओलिंपिक जैसे विश्वस्तरीय खेलो में हमारा देश बहुत कम ओलिंपिक पदक जीतता है।क्यों?
देश में खेल की जो परिस्थिति है। वह एक मानसिकता है, इस मानसिकता को बदलना होगा।खेल में कामयाबी हासिल करने के लिए खेलो के प्रति जागरूकता निर्माण करनी होगी।
देश के इतिहास मे ओलिंपिक पदक जितने वाले खिलाड़िओ की जीतनी भी प्रशंसा की जाए कम है। खेल के प्रति विपरीत परिस्थिती के बावजूद भारत के लिए ओलिंपिक में पदक जितना प्रशंषनीय है।